गली से दिल्ली तक अपनी आवाज बुलंद करने वाली आयरन लेडी ज्योति कालानी ने रचा था इतिहास
(जन्मदिन विशेष)
उल्हासनगर। आज उल्हासनगर की पूर्व नगराध्यक्षा, पूर्व महापौर, पूर्व स्थाई समिति की सभापति, पूर्व विधायक ज्योति पप्पू कालानी का आज जन्मदिन है. दैनिक धनुषधारी परिवार की ओर से उन्हें जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना. अगर भाभी ज्योति कालानी के कार्यकाल को देखा जाए तो एक चुनौतीपूर्ण और कठिन समय में लिया गया पदभार जिन्होंने इतिहास रचा जिसकी साक्षात् गवाह बना दैनिक धनुषधारी. जी हाँ, जब १२ नवंबर १९९२ को पूर्व विधायक पप्पू कालानी की गिरफ़्तारी हुई तब तत्कालीन मुख्यमंत्री सुधाकर नाईक ने उस वक्त उल्हासनगर नगरपालिका को बर्खास्त कर दिया. कुछ समय पश्चात जब नगरपालिका के चुनाव की घोषणा हुई तब भाभी ज्योति कालानी ने मोर्चा संभाला और शहर में अलग तरीके से उल्हास पीपुल्स पार्टी (यूपीपी) की स्थापना कर उसके बैनर तले चुनाव मैदान में उतरी। इस चुनाव में उन्हें साईं बलराम, जीवन इदनानी, दिलीप लालवानी तथा उनका शुभचिंतक वेलफेयर मंच के सदस्यों ने जी जान से मेहनत कर भाभी ज्योति कालानी को पूर्ण बहुमत दिलवाकर सत्ता की दहलीज तक पहुंचाया और पप्पू कालानी के बाद ज्योति कालानी को दूसरी नगराध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त हुआ. लेकिन उनके विरोधियों को ये बात पसंद नहीं आई. और उसके बाद ज्योति कालानी ने ऑल इण्डिया सिंधी अखिल भारतीय सिंधी परिषद के अध्यक्ष नानक राम इसरानी के मार्गदर्शन में उल्हासनगर से दिल्ली तक एक विशाल कार रैली का आयोजन किया। रैली में बड़ी संख्या में उल्हासनगर के लोगों ने भाग लिया और केंद्र सरकार पर पप्पू कालानी की रिहाई का दवाब बनाते हुए एक ज्ञापन दिया गया. उस समय ज्योति कालानी समूचे महाराष्ट्र ही नहीं देशभर के राजनीति में चर्चा का केंद्रबिंदु बनी. लेकिन उसी यात्रा के बीच में जब ज्योति कालानी दिल्ली के लिए रवाना हुईं थी तब उल्हासनगर में सोना मार्केट के पास एक निर्माणाधीन ईमारत गिर गई थी और तत्कालीन राज्य सरकार ने उसको आधार बनाकर उल्हासनगर नगरपालिका को एक बार पुनः बर्खास्त कर दिया. फिर नगरपालिका से बदलकर महानगरपालिका में तब्दील कर दिया. मगर ज्योति कालानी ने अपना राजनीतिक संघर्ष जारी रखा और उस समय शिवसेना की सत्ता आने के चलते उल्हासनगर में शिवसेना-भाजपा का मनोबल काफी बढ़ चुका था. और उस वक्त शिवसेना का नेतृत्व गोपाल राजवानी, संभाजी पाटिल, चंद्रकांत बोडारे और राजेंद्र चौधरी कर रहे थे वही भाजपा का नेतृत्व नरेंद्र राजानी के हाथों में था . उनके साथ भी ज्योति कालानी ने जबरदस्त राजनीतिक संघर्ष किया १९९५ में हुए मनपा चुनाव में. लेकिन उस वक्त भाजपा-शिवसेना ने निर्दलीयों की मदद से महानगरपालिका में अपना महापौर बना दिया और भाभी ज्योति कालानी को विपक्ष की भूमिका में आना पड़ा. इसके बाद भी ज्योति कालानी राजनीतिक संघर्ष जारी रखा. लगातार वो सत्ता में उन्ह आने के लिए संघर्ष करती रही. पप्पू कालानी की रिहाई के बाद जब मनपा चुनाव हुए तब ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए मनपा की पूर्ण बहुमत वाली सत्ता पर काबिज होते हुए वो महापौर बनी. राजनीति के अंदर जिस प्रकार से संघर्ष करते हुए ज्योति कालानी ने राजनीति की और पप्पू कालानी को जेल में रहते हुए भी दो बार उन्हें विधायक चुनवाने में अपनी अहम भूमिका अदा की ये ज्योति कालानी ही थी जिन्होंने असंभव काम करके दिखाया. इसके पश्चात ज्योति कालानी स्वयं विधानसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरी और उल्हासनगर की विधायक बनी. लेकिन दूसरी बार हुए विधानसभा चुनाव में काफी कम वोटों से वो अपने विरोधी कुमार आयलानी से चुनाव हार गई. बहरहाल अपने राजनीतिक जीवन में उतार चढाव का ज्योति कालानी ने डटकर मुकाबला किया. कभी वो हारी नहीं और उन्होंने अपनी सत्ता और अपनी पार्टी तथा पप्पू कालानी के समर्थकों को एकजुट बनाये रखने के लिए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. आज वही ज्योति कालानी का जन्मदिन है जिन्होंने गली से दिल्ली तक अपनी आवाज बुलंद की थी. हम एक बार पुनः उन्हें जन्मदिन की बढ़ाई देते हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करते है।
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