श्मशान घाटों में जमा हुईं अस्थियां
लॉकडाउन का असर अंतिम संस्कार से जुड़े कामों पर भी दिखा रहा है. लोग अपने प्रियजनों की अस्थियां पवित्र नदियों में विसर्जित नहीं कर पा रहे. हिन्दू धर्म में मृत आत्मा की शांति के लिए अस्थियों को पवित्र नदियों में प्रवाहित करने की प्रथा है. लेकिन लॉकडाउन के चलते लोग ऐसा नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से श्मशान घाटों में सैकड़ों की संख्या में अस्थि कलश जमा हो गये हैं. परिवारवालों को अब लॉकडाउन के खत्म होने का इंतजार है, जब वे इन अस्थियों को लेकर पवित्र नदियों में विसर्जित करेंगे और जाने वाले की आत्मा की शांति के लिए मोक्ष की कामना करेंगे. हालांकि श्मशान घाटों में अस्थि कलशों को काफी सुरक्षित तरीके से रखा जा रहा है. अदला-बदली न हो, इसके लिए उनपर नाम लिख दिये जाते हैं. यहां रोजाना अस्थियों की पूजा-अर्चना भी की जा रही है. हालांकि कई परिवार ऐसे भी हैं, जो लॉकडाउन खत्म होने तक का इंतजार किये बिना प्रियजन की अस्थियों को शहर की ही नदियों में प्रवाहित कर दे रहे हैं. कुछ अस्थि कलश इसलिए रखे हुए हैं, क्योंकि उनको लेने वाले इस लॉकडाउन में शहर से बाहर फंसे हुए हैं या फिर लॉक डाउन के चलते नदियों में प्रवाहित कैसे करेंगे ये सोचकर लेने नहीं जा रहे हैं. शवों के अंतिम संस्कार के बाद परिवारवालों के आग्रह पर अस्थि कलश को सुरक्षित रखा जा रहा है. लॉकडाउन के कारण लोग अस्थि ले नहीं जा रहे. इसलिए बड़ी संख्या में कलश जमा हो गये हैं. नई अस्थियों को रखने के लिए काफी जगह बची है. लेकिन जबतक लॉकडाउन खत्म नहीं होगा, जगह खाली नहीं होंगी.
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