धनुषधारी
उल्हासनगर, कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया खौफजदा है वहीं भारत भी इससे अछूता नहीं है. खासकर ४० दिनों के लॉक डाउन के चलते आम जनता बड़ी मुसीबत में आ गई है लेकिन कहावत है न कि `जान है तो जहान है' कुछ इसी तर्ज पर देश की जनता माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आह्वान पर लॉक डाउन के आदेश का पालन करते हुए अपने घरों में बंद है. इस दरम्यान उद्योग-धंधे, व्यापारिक प्रतिष्ठान आदि बंद रहने से या यूँ कहें कि सारा कामकाज बंद रहने से गरीब जनता को परेशानियां तो हो ही रही है साथ ही मध्यमवर्गीय परिवार भी परेशान हैं. इस बीच केंद्र सरकार निजी संस्थानों को हिदायत दे रही है अपने कर्मचारियों को वे काम से नहीं निकालें, मकान मालिकों से कहा गया है कि तीन महीने तक किरायेदारों को किराया देने में छूट बरतें और इस दरम्यान उन्हें मकान से ना निकालें तथा सरकार लगातार ये कह रही है कि वो देशभर में गरीबों को खाना और राशन उपलब्ध करवा रही है. इन सब बातों को लेकर उल्हासनगर ट्रेड असोसिएशन (यूटीए) के अध्यक्ष तथा जाने-माने समाजसेवी सुमित चक्रवर्ती ने चिंता जताते हुए कहा कि सरकार जो भी दावा कर रही है वो हकीकत में दिख नहीं रहा. बात करें उल्हासनगर की तो ये पहली बार देखा जा रहा है कि जो स्वयंसेवी संस्था अपनी ओर से दो वक्त की रोटी गरीबों तक पहुंचा रही थी अब उसपर भी स्थानीय प्रशाशन तय कर रही है कि खाना कहाँ आर किसे पहुंचाना है ।
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