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प्रकाश उत्सव मनाने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी का उद्देश्य क्या ?
प्रकाश उत्सव मनाने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी का उद्देश्य क्या ?
Daily Dhanushdhari
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अप्रैल 03, 2020
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धनुषधारी
उल्हासनगर, (कृष्णा लालवानी)। शुक्रवार सुबह 9 बजे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियो का एक वीडियो संदेश के माध्यम से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, अपने पिछले बार मेरे आह्वान पर जो देश में फैली कोरोना महामारी के खिलाफ देश के डॉक्टरों, सफाई कर्मचारियो, पुलिस विभाग आदि के प्रति अपना आदर व सम्मान व्यक्त किया उस जज़्बे को नमन करता हूँ।
उसी तरह आज के सम्बोधन में उन्होंने कहा कि आने वाली 5 अप्रैल रविवार को रात 9 बजे कोरोना के खिलाफ लड़ने वाला प्रत्येक भारतवासी जिसे यह लग रहा है कि वह अकेले इतनी बड़ी बीमारी का सामना नहीं कर सकता उन सभी को एक साथ आकर अपने घरों की सारी लाइटे 9 मिनट के लिए बंद रख कर अपने दरवाज़ों तथा बालकनियों में दिया , मोमबती, टार्च या मोबाइल का लाइट जलाकर यह दिखाना है कि इस वैश्विक महामारी कोरोना से सामना करने के लिए देश के पूरे 130 करोड़ लोग एक जुटता से खड़े हैं।
भारत में एक नारा बहुत ही प्रसिद्ध है "हिन्दू , मुस्लिम सिख, ईसाई आपस में हैं भाई भाई " अगर इस प्रकाश उत्सव को ध्यान से देखा जाए तो जो दीप हिंदू सभ्यता की पूजा का प्रतीक है , जिस दीप कोे जलाकर सभी हिन्दू दीपावली का त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाते हैं और इसी दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा होती है जिसके बाद मां लक्ष्मी का सभी घरों में आगमन माना जाता है। तो ऐसे में आज के मौजूदा हालातों में जहां कोरोना के कहर ने न केवल भारत बल्कि संपूर्ण विश्वभर की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया है, उस आर्थिक मंदी से निकलने के लिए माता लक्ष्मी को इस पूजा के रूप में दीप जलाकर भी देखा जा रहा है। दक्षिण राज्यो में व हिंदी भाषी राज्यो में लोगों के बीच बड़े पैमाने पर दीप प्रज्वलित करने की परंपरा है। साथ ही भारत में ईसाई धर्म को मानने वाले लोग अपने भगवान जीसस क्राइस्ट की याद में चर्च में मोमबती बड़े पैमाने पर जलाते हैं।
मोबाइल तथा अन्य टॉर्चो की रोशनी का उद्देश्य होता है एक जन की उपस्थिति बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचना और उन छोटी छोटी लाइट से इतनी रोशनी जमा करना कि वह एक बड़े स्टेडियम को भी रोशन कर दे। तो ऐेसे में इस प्रकाश उत्सव का उद्देश्य यही बताना है कि एक दूसरे के बीच एकता रखकर ही ऐसे कठिन परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है।
आज अगर विकसित देशों की बात करें जैसे इटली, स्पेन, अमेरिका, जर्मनी तो इनमें कम जनसंख्या, आधुनिक स्वास्थ्य व्यवस्था, मजबूत अर्थव्यवस्था होने के बाद भी कोरोना से मौतों की संख्या अधिक है वहीं इसके विपरीत भारत, जहाँ की आबादी १३० करोड़ है, ना आधुनिक स्वास्थ्य व्यवस्था, लोगों में सोशल डिस्टेंसिंग के प्रति जागरूकता न होना, जहाँ लोगों का बार बार सरकार द्वारा मिले आदेशो का उल्लंघन बड़े पैमाने में हो रहा है, वहाँ कोरोना की वजह से मौत की संख्या उन विकसित देशो से काफी कम है। इसके पीछे का मुख्य कारण यही है कि इस महान देश में सभी धर्मों के लोग एक साथ घुल मिलकर रहते हैं और अपने अपने धार्मिक स्थानों पर भले ही एक बार सही पर अपना शीश जरूर झुकाते हैं। चाहें वो मंदिर हो, मस्जिद हो गुरुद्वारा हो या चर्च, ऐसे में जब 130 करोड़ देशवासी एक साथ मिलकर 5 अप्रैल की रात ९ बजे ९ मिनट तक दीप, मोमबती जलाकर तथा टॉर्च से उजाला कर अपने-अपने देवताओ से एक साथ प्रार्थना करेंगे तब निश्चित रूप से ये कहा जा सकता है कि इस करोना वायरस को भारत छोड़कर जाना ही पड़ेगा।
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