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समाजसेवियों के प्रयासों से भूखे-प्यासे जानवरों-पक्षियों को मिलेगा दाना-पानी


  • सीमा रिसोर्ट में पक्षियों को दाना-पानी देते हैं अमन टॉकीज के मालिक प्रकाश मोरयानी
  • सोशल मीडिया के एक पोस्ट से हो पाया संभव 



उल्हासनगर, भले ही सोशल मीडिया के दुरूपयोग के मामले सामने आते हैं लेकिन इसके सदुपयोग से कई मामलों का समाधान भी हुआ है. यहां तक कि आपको ये जानकर हैरानी होगी कि कैसे फेसबुक पर एक पोस्ट से अब सैकड़ों बेजुबान जानवरों-पक्षियों को दाना-पानी मिलना शुरू हो जायेगा. जी हाँ, उल्हासनगर के  समाजसेवियों के प्रयासों से बहुत जल्द भूखे-प्यासे बेजुबान जानवरों-पक्षियों को दाना-पानी मिलना शुरू हो जायेगा. हुआ यह कि अमन टॉकीज के मालिक प्रकाश मोरयानी करीब २० साल से हर रोज शाम के वक्त अपनी कार से सीमा रिसोर्ट जाते थे जहां वे बूंदी-सेव, बिस्किट आदि जानवरों-पक्षियों को खिलाते थे. लेकिन जबसे कोरोना के चलते देशभर में लॉक डाउन की घोषणा हुई तबसे मोरयानी वहां नहीं जा पा रहे हैं और हर रोज जानवर-पक्षी उनके इंतजार में भूखे-प्यासे रहते हैं. समाजसेवी और पर्यावरण प्रेमी शशिकांत दायमा ने अपने सोशल मीडिया फेसबुक पर इस घटना का जिक्र करते हुए पोस्ट किया जिसमे उन्हें उस शख्स का नाम पता नहीं होने की बात कही जोकि इतने वर्षों से पक्षियों को दाना डालते थे. दायमा की पोस्ट पढ़कर दैनिक धनुषधारी के संपादक टोनी लालवानी ने श्री दायमा को फोन कर हकीकत बताई और कहा कि वे भी प्रकाश जी के साथ कितने बार सीमा रिसोर्ट में गए हैं. फिर उन्होंने प्रकाश मोरयानी का मोबाइल नंबर दायमा को दिया। साथ ही उन्होंने भी प्रकाश मोरयानी से फोन पर बात की तो उन्होंने बताया कि २२ मार्च के दिन पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देशभर में जनता कर्फ्यू लगा था. उस दिन वे सीमा रिसोर्ट में जानवरों तथा पक्षियों को दाना-पानी देने गए थे और वापसी के वक्त साधना होटल के पास पुलिस ने उन्हें रोक लिया और बिना वजह दो-से तीन घंटा बिठा कर रखा जिससे वे परेशान हो गए और उसके बाद मोरियानी जी ने वहाँ जाना बंद कर दिया. आख़िरकार टोनी लालवानी, शशिकांत दायमा तथा सरिता खानचंदानी द्वारा प्रकाश मोरयानी से संपर्क करने के बाद उन्होंने जल्द ही जानवरों तथा पक्षियों को दाना-पानी देने के लिए सीमा रिसोर्ट जाने की रजामंदी दिखाई.ऐसे में धनुषधारी के संपादक उल्हासनगर पुलिसचौकी के सीनियर पी.आए राजेन्द्र कदम से यह निवेदन करते है कि वे इस नेक काम में समाजसेवी प्रकाश मोरियानी का सहयोग करे और उन्हें वहां आने जाने के लिए पास उपलब्ध करवाए ।
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मुंबई में रेसकोर्स के घोड़े भी अस्तबल में हैं लॉक


मुंबई। कोरोना वायरस से देश भर में जन-जीवन अस्त-व्यस्त है. लॉक डाउन के चलते लोग घरों में बंद हैं. एक तरफ जहां लोगों की जिंदगी रुकी सी है वहीं दूसरी तरफ इसके प्रभाव से जानवर भी अछूते नहीं रहे. घोड़ों की रेस के लिए मशहूर मुंबई शहर थम सा गया है, लॉकडाउन के चलते सभी चीजों को बंद कर दिया गया है. मुंबई का मशहूर महालक्ष्मी रेसकोर्स भी बंद पड़ा है. यहां रेस में दौड़ने वाले घोड़े अस्तबल में बंधे घांस खा रहे हैं. इस रेसकोर्स में 800 से ज्यादा घोड़े अस्तबल में हैं जिनकी देखभाल के लिए करीब 600 लोग हैं. रॉयल वेस्टर्न इंडिया टर्फ क्लब के ज्यादातर प्रशिक्षक मुंबई और पुणे में रहते हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे सभी यहीं फंस के रह गए हैं. अधिकारियों ने 2400 मीटर वाले ट्रैक पर अभ्यास पर रोक लगा दी है. इससे घोड़ों को फिट रखने में दिक्कतें आ रही है. प्रशिक्षक घोड़ों की हेल्थ को लेकर चिंता में हैं. क्लब के वरिष्ठ प्रशिक्षक आइवर फर्नांडिस कहते हैं कि अगर घोड़ों को नियमित रूप से अभ्यास नहीं करवाया जाए तो उनके स्वास्थ्य का इस पर काफी असर पड़ता है. प्रशासन की ओर से जारी अत्यावश्यक श्रेणी का पास मिलने के कारण वे रोज महालक्ष्मी रेसकोर्स के अस्तबल जा पाते हैं. उन्होंने कहा कि घोड़ों को विशेष खाद्य पदार्थो की आवश्यकता होती है, वेलफेयर एनीमल बोर्ड के सौजन्य से इन खाद्य पदार्थो की आपूर्ति हो रही है. कुछ घोड़े के मालिक ने दरयादिली दिखाते हुए इनके  खाने का भी इंतजाम कर दिया है.
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