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व्यापारी जयराम मंगवानी के सहयोग से म्हारल गांव में जरूरतमंदों को मिला खाना


 धनुषधारी

सीमा विवाद में नहीं मिल रहा था खाना 


उल्हासनगर, कोरोना महामारी से निपटने के लिये एक तरफ समूचा देश जाति, धर्म और सीमावाद भुलाकर मानवता के आधार पर इंसानों की मदद कर रहा है तो दूसरी ओर उल्हासनगर मनपा द्वारा म्हारल गांव के उन 300 मज़दूरों, गरीब बुज़ुर्ग और बीमार लोगों को ये खाकर लौटा दिया जाता है कि म्हारल गांव उल्हासनगर मनपा की हद्द में नहीं आता है. दरअसल जब से लॉकडाउन हुआ है उसके बाद पिछले 8-10 दिनों से म्हारल गांव के कुछ युवाओं ने म्हारल गांव के उन 300 मज़दूरों, गरीब बुज़ुर्ग और बीमार लोगों को उल्हासनगर के एक दरबार से लंगर भोजन प्रसाद दिया जा रहा था. कल अचानक उल्हासनगर के अन्य दरबार और मंदिरों में लंगर भोजन प्रसाद और उक्त दरबार का लंगर भोजन प्रसाद वितरण का कार्य उल्हासनगर मनपा ने अपने कब्ज़े में ले लिया। वहां नियुक्त अधिकारियों ने उल्हासनगर मनपा क्षेत्र के बाहर के निवासियों को लंगर भोजन प्रसाद वितरण नहीं किया जायेगा ऐसा तुग़लकी फ़रमान ज़ारी कर दिया और अचानक आई विपदा के कारण शनिवार रात म्हारल गांव के उन 300 मज़दूरों, बुज़ुर्ग और बीमार लोगों को भुखा सोना पड़ा. उक्त घटना की खबर मिलते ही उल्हासनगर के समाजसेवी व्यापारी जयराम मंगवानी ने  म्हारल गांव के भुखे 300 परिवार के लोगों को खाना पहुंचाया साथ ही उनके मित्र परिवार द्वारा 30 अप्रैल तक दो वक्त का खाना पहुंचने की ज़िम्मेदारी ली.
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