उल्हासनगर, हाल ही में उल्हासनगर के वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवक रामेश्वर गवई की 24 वर्षीय बेटी प्रणाली गवई की पीलिया से जान चली गई. जब ये खबर लोगों को मिली तो किसी को ये विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि पीलिया से प्रणाली की मौत अचानक हो गई. मौत की वजह समय पर इलाज नहीं होना ही माना जा रहा था और ये बात अब सच साबित हो रही है कि किस प्रकार सेन्ट्रल अस्पताल के डॉक्टरों ने लापरवाही बरती जिससे २४ वर्षीय युवती को अपनी जान गंवानी पड़ी. मृतक के पत्रकार पिता रामेश्वर गवई का ये आरोप है कि समय पर डॉक्टरों द्वारा इलाज नहीं करने से उनकी बेटी की जान गई है. उधर सोशल मीडिया पर भी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही और इलाज नहीं करने को लेकर आक्रोश जताया जा रहा है. इससे ये बात साफ प्रतीत हो रही है कि जब सेन्ट्रल अस्पताल के डॉक्टर एक जाने-मने पत्रकार की बेटी के साथ इस तरह का बर्ताव करेंगे तो आम जनता के साथ उनका बर्ताव कैसा होता होगा यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है. आपको बता दें कि उल्हासनगर ४, सम्राट अशोक नगर में पत्रकार रामेश्वर गवई अपने परिवार के साथ रहते हैं. उनकी बेटी प्रणाली ने आय टी विषय में इंजिनियरिंग किया हुआ था. प्रणाली बचपन से ही पढ़ने में होशियार थी, अब वह यूपीएससी और एमपीएससी परीक्षा की तैयारी कर रही थी. बीते ७ अप्रैल को प्रणाली को टायफॉईड हुआ था, जिसका उपचार सेंट्रल अस्पताल में किया गया था और बाद में सभी रिपार्ट नॉर्मल आये थे. इस बीच 20 अप्रैल की सुबह अचानक प्रणाली की तबियत खराब होने लगी तो दोपहर करीब १२ बजे रामेश्वर गवई स्थानीय समाजसेवक शिवाजी रगडे और अन्य लोगों को साथ लेकर अपनी बेटी के उपचार के लिए उसे सेंट्रल अस्पताल लेकर गए. लेकिन वहां डाक्टरों ने उपचार नहीं किया और कहने लगे कि इसका कोरोना टेस्ट करना पड़ेगा। ये टालमटोल का रवैया दोपहर दो बजे तक चला और तबतक प्रणाली इलाज के लिए तड़पती रही. इस परिस्थिती में रामेश्वर गवई तथा समाजसेवक शिवाजी रगडे ने उल्हासनगर मनपा आयुक्त सुधाकर देशमुख से संपर्क किया तो उन्होंने तुरंत उपचार का आदेश दिया, फिर प्रणाली को उसी दिन निजी धन्वंतरी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती किया गया, जहां डॉक्टरों ने उपचार शुरू कर दिया पर प्रणाली को नहीं बचा पाए और शाम साढ़े सात बजे प्रणाली की मौत हो गई. इस घटना से रामेश्वर गवई व उनके परिवार पर दुःख का पहाड़ तो टूटा ही है साथ ही समूचा पत्रकार जगत तथा गवई परिवार के मित्र व शुभचिंतक इस घटना से शोकाकुल हैं.
रामेश्वर गवई ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पत्रकारों ने भी इस घटना की जांच करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है ताकि सेन्ट्रल अस्पताल के डॉक्टर भविष्य में दोबारा किसी और परिवार के साथ इलाज में लापरवाही ना करें.
- लापरवाही से इंकार
इस घटना को लेकर सेंट्रल अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुधाकर शिंदे भले ही ये कहें कि अस्पताल के डॉक्टरों की ओर से किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई है, लेकिन वे इस बात को नकार नहीं सकते की दो घंटे तक उनके डॉक्टरों ने प्रणाली का इलाज शुरू नहीं किया. आये दिन इस बात की शिकायतें सुनने को मिलती रहती है कि मामूली इलाज भी सेन्ट्रल अस्पताल के डॉक्टर नहीं करते और मरीज को ठाणे या मुंबई के अस्पतालों में रेफर कर देते हैं. अस्पताल में पूरी तरह से बदहाली का आलम है. अगर निष्पक्ष जांच करवाई गई तो हकीकत खुद ब खुद सामने आ जाएगी.
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