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'सिंधी भाषा दिवस' के ५३ वर्ष'


सिंधी समाज में भरी है देशभक्ति की भावना- तेजवानी  


उल्हासनगर, हर साल सिंधी समुदाय 10 अप्रैल के दिन 'सिंधी भाषा दिवस' मनाता है. दरअसल  १९४७ में अखंड भारत के विभाजन के बाद सिंधी समुदाय को सिंध प्रान्त छोड़ना पड़ा और वे भारत में आकर बस गए. भारत सरकार ने सिंधी समुदाय  की न्यायोचित माँग और देशभक्ति को देखते हुए '10 अप्रैल 1967' को चेटीचंड के पावन दिवस पर 'सिंधी भाषा' को संविधान की 8 वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान की जिसके बाद से सिंधी समुदाय हर साल १० अप्रैल के दिन 'सिंधी भाषा दिवस' के रूप में मनाता है. उल्हासनगर महानगरपालिका प्रशासन द्वारा भी मनपा मुख्यालय में सिंधी भाषा दिवस मनाया गया. मनपा के जनसंपर्क अधिकारी युवराज भदाने द्वारा सिंधी भाषा गौरव दिवस मनाया गया. इस सिंधी भाषा गौरव दिवस के संदर्भ में उल्हासनगर व्यापारी असोसिएशन के अध्यक्ष जगदीश तेजवानी ने कहा कि धर्म की ख़ातिर सिंधी समुदाय को सिंध प्रान्त छोड़ना पड़ा और वे अखंड भारत से सनातन धर्म न छोड़ना पड़े इसलिये अपना सबकुछ छोड़कर भारत के विभिन्न प्रान्तों में आकर बसे. वैसे भारत में हम सिंधियों का कोई विशेष भाषाई राज्य नहीं हैं लेकिन देशभक्ति की भावना हम सिंधियों में कूट कूट कर भरी है. उन्होंने बताया कि 'सिंधी भाषा' को संविधान की 8 वीं अनुसूची में मान्यता प्रदान जो किया गया उसका इस वर्ष 53 साल पूरा होगा. जगदीश तेजवानी ने शहरवासियों और सिंधी समाज को १० अप्रैल के सिंधी भाषा दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी है.
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